पेड़, मकान और कब्जे नहीं हटने से रुका चंडीगढ़-बद्दी रेल ट्रैक का काम

Work on Chandigarh-Baddi rail track stopped due to trees houses and encroachments not being removed

चंडीगढ़-बद्दी रेललाइन निर्माण में ट्रैक पर पेड़, बिजली की तारें, मकान होने से कारण इसका कार्य रुक गया है। अभी तक इसमें 40 फीसदी लोगों को अभी भी मुआवजा नहीं मिला है। जिससे उन्होंने अपने कब्जे नहीं हटाए हैं। चंडीगढ़-बद्दी रेलवे लाइन में हिमाचल के 9 गांवों के 350 किसानों की 34.67 हेक्टेयर जमीन आई है।

पेड़ कटने बाकि, इतने फीसदी लोगों को मिली है मुआवजा राशि
अभी तक इस जमीन से 60 फीसदी ही लोगों को मुआवजा राशि मिली है। कब्जे न हटाने से रेलवे ट्रैक का कार्य अधर में लटका गया है। हिमाचल में रेलवे ट्रैक में 8 मकान आए हैं। यह मकान भी तक नहीं टूटे हैं। बिजली के तार ट्रैक के ऊपर से जा रहे हैं। यही नहीं 73 पेड़ भी जहां से ट्रैक बनना है, उसके बीच में खड़े हैं। जिसकी अभी कीमत लगनी बाकी है। उसके बाद यह कटेंगे।

वर्तमान में प्लेट फार्म, आवासीय कालोनी, रिंग रोड, अंडर पास आदि का कार्य तेजी से चल रहा है, लेकिन पेड़, स्ट्रक्चर और भूमि मालिकों के कब्जे इस निर्माण कार्य में बाधा बने हैं। कंपनी का ठेकेदार इसे निर्धारित समय 2025 में पूरा करना चाहते हैं। जब तक उसे जमीन क्लीयर नहीं मिलेगी तब तक वह कैसे काम करेगा। ट्रैक के बीच में एक बगीचा भी आ रहा है। इस बगीचे में फलदार पेड़ खड़े हैं। कुछ लोगों ने पैसा भी ले लिया है लेकिन अभी तक अपने कब्जे नहीं हटाए हैं।

रेलवे लाइन का कार्य देख रहे ओएसडी सुभाष सकलानी ने बताया कि कुछ लोगों ने स्ट्रक्चर की औपचारिकताएं समय पर नहीं की, जिससे अभी तक यह हटाए नहीं गए है। अब औपचारिकताएं पूरी हो गई हैं। जल्द ही इसे हटाने का आदेश जारी कर दिए जाएंगे। पेड़ों की कीमत लग चुकी है। इसे काटने के लिए जल्द टेंडर निकाले जाएंगे। उन्होंने बताया कि 40 फीसदी लोगों ने अभी तक मुआवजा नहीं लिया है।

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