किन्नौर के कल्पा ब्लॉक में निर्माणाधीन 450 मेगावाट कड़छम शोगंटोंग जल विद्युत परियोजना समय पर तैयार न होने से सरकार को प्रतिवर्ष 60 करोड़ रुपये की क्षति पहुंच रही है।
सूत्रों के अनुसार इस परियोजना का निर्माण होने से हिमाचल सरकार को विद्युत उत्पादन की 12 प्रतिशत रॉयल्टी मिलनी है। 2017 में तैयार होने वाली परियोजना का समय काफी लंबा खिंच गया है। इसके चलते सरकार को अब तक अरबों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। सरकार के साथ-साथ जिले की छह पंचायतों के ग्रामीणों को भी नुकसान झेलना पड़ रहा है। बताते चलें कि हिमाचल प्रदेश पावर कोरपोरेशन लिमिटेड की 450 मेगावाट कड़छम शोगंटोंग जल विद्युत परियोजना के निर्माण कार्य की मुख्य ठेकेदार पटेल कंपनी है, जबकि पटेल कंपनी ने आगे 27 ठेकेदारों को काम दिया है।
पटेल कंपनी ने इस परियोजना के निर्माण कार्य को वर्ष 2012 में शुरू किया था, जो करीब 12 वर्ष की लंबी अवधि गुजर जाने के बाद भी पूरा नहीं हो पाया है। परियोजना के निर्माण कार्य का लक्ष्य 2017 निर्धारित किया गया था, लेकिन एचपीपीसीएल और पटेल कंपनी की लेटलतीफी के चलते सरकार ने 2026 तक परियोजना का कार्य पूरा करने के निर्देश दिए हैं। वर्तमान में हो रहे कार्यों को देखकर लगता नहीं कि 2026 तक भी इस परियोजना का कार्य पूरा हो पाएगा। एचपीपीसीएल और पटेल कंपनी के ढुलमुल रवैये को देखते हुए सरकार को अभी करोड़ों रुपये का और नुकसान होगा। वहीं, समय के साथ-साथ पावर प्लांट बनाने की लागत भी बढ़ती जाएगी। गौर रहे कि एचपीपीसीएल प्रबंधन की फरवरी से बैठक नहीं हो पाई है। इसके चलते पटेल कंपनी को बजट के अभाव से जूझना पड़ रहा है और परियोजना का कार्य धीमी गति से चल रहा है।
बजट की कमी के कारण कंपनी ने मई से पावर हाउस, नहर का काम, सर्च कर्क्स का काम शुरू किया है। सिर्फ डैम का काम शुरू नहीं हो पाया है। बजट मिलते ही काम शुरू कर दिया जाएगा- बीरेंद्र शर्मा, महाप्रबंधक, पटेल कंपनी
दिसंबर 2026 तक 450 मेगावाट कड़छम शौंगटों परियोजना का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। बैराज के लिए 7 हेक्टेयर जमीन का जल्द ही अधिग्रहण किया जाएगा- खेम सिंह ठाकुर, प्रबंध निदेशक, पावर कॉरपोरेशन, हिमाचल प्रदेश
450 मेगावाट कड़छम शौंगटों परियोजना का कार्य एचपीपीसीएल ने पटेल कंपनी को दिया है। इन दोनों की आपसी लड़ाई के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। सरकार जल्द ही कोई रास्ता निकालेगी