शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में धड़ाधड़ शिक्षण संस्थान खोलने के बाद भी कोई सरकार रिपीट नहीं हुई है। वर्ष 2012 से 17 तक तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भी कई स्कूल-कॉलेज खोले। इसके बाद 2017 से 2022 तक जयराम सरकार ने भी कोई कमी नहीं रखी। प्रदेश में शिक्षण संस्थानों का विस्तार बहुत अधिक हो गया है। अब संस्थानों को मजबूत करने का समय है। हालात नहीं बदले तो सरकारी स्कूल बंद हो जाएंगे। कई स्कूलों में बच्चों से अधिक शिक्षक हैं। नेशनल अचीवमेंट सर्वे में प्रदेश की रैंकिंग कम हुई है। कई रिपोर्ट में बताया गया कि आठवीं कक्षा का बच्चा तीसरी कक्षा का पाठ भी सही तरीके से पढ़ पा रहा है।
प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक राकेश जम्वाल के सवाल का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि 20 साल पहले हिमाचल प्रदेश का शिक्षा के क्षेत्र में देशभर में तीसरा स्थान था। 2021 के नेशनल अचीवमेंट सर्वे में रैंक 18वें नंबर पर पहुंच गया है। वर्ष 2003 में पहली से पांचवीं कक्षा तक 5.90 लाख बच्चे पढ़ते थे। अब संख्या 2.99 लाख है। मिडल स्कूल में पहले दाखिले 3.81 लाख थे जो अब 2.05 लाख हो गए। इसी प्रकार नौवीं से बारहवीं कक्षा के स्कूलों में 2003 में दाखिले 1.84 लाख थे जो अब 1.36 लाख हैं। इसी क्रम से चलते रहे तो जल्द ही कई सरकारी स्कूल बंद हो जाएंगे।
शिक्षा मंत्री ने भाजपा विधायक अनिल शर्मा का जिक्र करते हुए कहा कि 2021 में अनिल शर्मा कहते थे कि मेरे मंडी सदर क्षेत्र में कोई भी नया संस्थान नहीं खोला गया। सरकार ने पांच या पांच से कम विद्यार्थियों की संख्या वाले 419 स्कूलों को मर्ज किया है। शून्य नामांकन वाले 99 स्कूल बंद भी किए हैं।
अभिभावकों का निजी स्कूलों के प्रति अधिक मोह
शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम होने का कारण मुख्यत: अभिभावकों का निजी स्कूलों के प्रति मोह है। प्रदेश में पूर्व में स्थापित स्कूलों के दायरों में नए राजकीय और निजी स्कूलों का खुलना भी सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम होने का कारण है। वर्तमान परिवेश में अधिकतर लोगों का पलायन गांव से शहरों की तरफ हो रहा है, इस कारण भी गांव के क्षेत्रों के अधिकतर स्कूलों में नामांकन संख्या घटी है।