देवभूमि में पहाड़ी गाय रहस्यमयी परिस्थितियों में लापता हुई हैं। सात साल में 4 लाख 6 हजार 249 गाय गायब हुई हैं या फिर बीमारी व उम्र पूरी होने पर मौतें हुई हैं। पशुपालन विभाग के पास ऐसा कोई सटीक आंकड़ा नहीं है जिसमें यह पता लग सके कि साल 2012 से 2019 तक कितनी पहाड़ी गायों की मौतें हुई हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि लाखों की संख्या में पहाड़ी गाय कहां लापता हो गईं। पशु चिकित्सक की मानकर चलें तो एक पहाड़ी गाय की औसतन उम्र 15 से 20 साल होती है। साल 2019 के बाद पशु गणना सितंबर 2024 में शुरू की जा रही है।
संभावना है कि पशु गणना खत्म होने के बाद यह आंकड़ा और ज्यादा बढ़ सकता है। हालांकि इस दौरान देसी गायों की संख्या में आठ फीसदी बढ़ोतरी हुई है। इनकी जनसंख्या पिछली पशुगणना साल 2019 के मुताबिक 10 लाख 6 8 हजार 935 है। पहाड़ी गायों की संख्या 34 फीसदी घटकर 7 लाख 59 हजार 82 रह गई है। मौजूदा आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो प्रदेशभर में 245 गोसदन हैं। इनमें 20 हजार 797 गाय हैं। लंपी रोग से करीब ग्यारह हजार गायों की मौत हुई है। गोशाला में 2021 में 6 हजार 778 गायों को पनाह दी है। साल 2022-23 ने 11 हजार 989 गायों को पनाह दी है। साल 2023-24 में 12 हजार 447 गाय को पनाह दी गई है। ऐसे में लाखों की संख्या में पहाड़ी गाय कहां लापता हो गईं यह जांच का विषय है।
क्या कहते हैं पशुपालन विभाग के निदेशक
पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. प्रदीप शर्मा ने कहा कि कितनी गायों की प्राकृतिक मौतें हुई हैं इसका कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं रहता। विभाग के पास केवल यह आंकड़ा है कि प्रदेश में मौजूदा समय में इतनी गाय मौजूद हैं। यह संख्या बीमारी या उम्र पूरी होने की वजह से भी कम हो सकती है।
क्या कहते हैं पशु चिकित्सा अधिकारी
डॉ. तरुण ठाकुर ने कहा कि एक पहाड़ी और जर्सी गाय की औसतन उम्र 15 से 20 साल होती है। संख्या कम होने की कई वजह हो सकती हैं।