डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर सेवानिवृत अधिकारियों, कर्मचारियों को चूना लगा रहे शातिर, ऐसे बचें

हिमाचल में डिजिटल अरेस्ट के मामले बढ़ने लगे हैं। साइबर ठगों के निशाने पर अब हिमाचल के सेवानिवृत अधिकारी और कर्मचारी हैं। शातिर डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर सेवानिवृत अधिकारियों और कर्मचारियों को झांसे में ले रहे हैं। सोशल मीडिया समेत अन्य माध्यमों से सेवानिवृत अधिकारियों और कर्मचारियों की जानकारी जुटाकर उन्हें अपने जाल में शातिर उन्हें फंसाने में लगे हुए हैं। जरा सी लापरवाही शातिरों के झांसे में आए लोगों के बैंक खाते खाली कर रहे हैं।

उधर, साइबर पुलिस थाना मंडी मध्य खंड एएसपी मनमोहन सिंह ने बताया कि जागरूकता के माध्यम से किसी भी प्रकार की ठगी से बचा जा सकता है। शातिर किस तरह लोगों की व्यक्तिगत जानकारी जुटा रहे हैं, यह शातिर की गिरफ्तारी के बाद ही पता चल सकता है। इन मामलों में गहनता से जांच जारी है। हाल ही में मंडी साइबर पुलिस थाना में हमीरपुर जिले के एक सेवानिवृत अधिकारी से करीब 73 लाख रुपये की ठगी डिजिटल अरेस्ट दिखाकर की गई।

मंडी जिले के एक सेवानिवृत अधिशाषी अभियंता से सोशल मीडिया पर सस्ते दामों पर शेयर और आईपीओ खरीदने के नाम पर शातिरों ने 20 लाख रुपये ठग लिए।
मई 2024 में साइबर अपराध पुलिस थाना मंडी में सोशल मीडिया के जरिये स्टॉक मार्केट में निवेश या शेयर खरीदने के नाम पर लगभग 1.97 करोड़ रुपये की धोखाधडी की शिकायत मिलने पर चार के चार केस दर्ज हुए हैं।

डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट में किसी शख्स को ऑनलाइन माध्यम से डराया जाता है कि वह सरकारी एजेंसी के माध्यम से अरेस्ट हो गया है, उसे जुर्माना देना होगा या फिर जांच तक उसकी धनराशि सरकारी एजेंसी के पास रहेगी। जांच खत्म होने पर इसे वापस कर दिया जाएगा। इस तरह धनराशि जमा करवाई जाती है। फिर यह वापस नहीं मिल पाती है।

ठगी के तरीके

  • रियर में गलत सामान या ड्रग्स का हवाला देकर मामला रफा दफा करने के लिए भी धनराशि मांगी जाती है।
  • बैंक खाते में हुई ट्रांजेक्शन का हवाला देते हुए इसे मनी लॉड्रिंग बताते हुए डर दिखाकर राशि भेजने के लिए कहा जाता है।
  • बेटे को चोरी केस में गिरफ्तार करने की सूचना देकर मामला रफा दफा करने की एवज में भी धनराशि मांगी जाती है।
  • किसी केस में नाम आने का हवाला देते हुए किसी दूसरी जगह में कई एफआईआर दर्ज होने की बात कहते हुए भी डराया जाता है।

ऐसे करें बचाव

कम समय में हाई रिटर्न पर विश्वास न करें। किसी भी तरह के निवेश से पहले पूरी तरह जांच पड़ताल कर लें, डिजिटल अरेस्ट की कॉल को अनदेखा करें। किसी भी तरह की जानकारी के लिए हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क करें, कोई भी सरकारी एजेंसी ऑनलाइन तरीके से पूछताछ नहीं करती है, बैंक खातों में लेन-देन की जानकारी मोबाइल से नहीं पूछी जाती है। ऐसे में विश्वास न करें, फोन पर शातिर सबसे पहले बातोंबातों में ही व्यक्ति की पूरी जानकारी जुटा लेते हैं। अपने व्यक्तिगत जानकारी फोन पर किसी से शेयर न करें। अगर साइबर फ्रॉड का शिकार हुए हैं तो तुरंत इसकी शिकायत दर्ज करवाएं।

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