हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली मस्जिद में हुए अवैध निर्माण को लेकर चल रहे विवाद के बीच देवभूमि संघर्ष समिति ने बाजार में सनातनी सब्जी वाले बोर्ड लगाने शुरू कर दिए हैं। इसे लेकर मामला फिर गरमा गया है। देवभूमि समिति संघर्ष समिति हिंदू समाज से जुड़े लोगों की सब्जी की दुकानों में यह बोर्ड लगा रहे हैं। इसके साथ ही लोगों से ही सामान खरीदने की अपील कर रहे हैं। इससे विशेष समुदाय का आर्थिक रूप से बहिष्कार करने अपील की जा रही है। इससे संजौली मस्जिद में हुए अवैध निर्माण को गिराने के आदेशों के बाद दो समुदायों के बीच सुलझता मामला फिर उलझता हुआ नजर आ रहा है। उधर, पूरे मामले को लेकर जिला प्रशासन और पुलिस विभाग भी नजर बनाए हुए हैं। देवभूमि संघर्ष समिति क सह संयोजक विजय शर्मा ने कहा कि संजाैली समेत प्रदेशभर में इसी तरह से सनातन सब्जीवाला अभियान चलाया जाएगा।
तहबाजारियों के लिए पहचानपत्र अभी अनिवार्य नहीं
उधर, प्रदेश सरकार की ओर से तहबाजारियों के लिए पहचानपत्र अभी अनिवार्य नहीं किए गए है। हालांकि, बीते दिनों विधानसभा की ओर से गठित स्ट्रीट वेंडर्स कमेटी की विधानसभा सचिवालय में हुई बैठक में पहचानपत्र अनिवार्य करने पर सहमति बनी थी। हालांकि, इस पर अभी कानूनी राय ली जा रही है। बैठक में शहरी विकास विभाग ने केंद्र सरकार की 2014 और हिमाचल प्रदेश सरकार की 2016 की स्ट्रीट वेंडर पॉलिसी को लेकर बनाए गए नियम पर विस्तृत प्रस्तुति दी है। इसके अलावा कमेटी के सदस्यों ने भी अपने सुझाव दिए हैं। शहरी क्षेत्तों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में तहबाजारियों को भी इसके दायरे में लाया जाएगा। तहबाजारियों को बसाने के लिए अलग जोन बनाए जाने पर भी चर्चा हुई।
जानें क्या है पूरा मामला
बता, दें 5 अक्तूबर को नगर निगम शिमला के आयुक्त की अदालत ने संजौली में बनी मस्जिद की पांच में से तीन मंजिलों को अवैध करार देते हुए उसे गिराने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को अपने खर्चे पर दो महीने के भीतर अवैध निर्माण तोड़ने का फैसला दिया। वहीं कोर्ट के आदेश के बाद मस्जिद कमेटी ने कहा कि आदेश मंजूर है। इसे किसी भी अदालत में चुनौती नहीं देंगे और अवैध निर्माण खुद ही तोड़ेंगे। लेकिन इसके बाद 9 अक्तूबर को ऑल हिमाचल मुस्लिम आर्गेनाइजेशन ने कहा कि नगर निगम आयुक्त कोर्ट के आदेश को ऊपरी अदालत में चुनौती देने की बात कही। इसे लेकर बालूगंज मस्जिद में बैठक हुई। वहीं, मस्जिद कमेटी ने आयुक्त कोर्ट के आदेश को चुनौती देने से एक बार फिर इन्कार कर दिया। कथित अवैध निर्माण का मामला साल 2010 से आयुक्त की कोर्ट में चल रहा था। साल 2012 में मस्जिद की दो मंजिलें थीं, जो साल 2018 तक पांच हो गईं। इसका नक्शा भी नगर निगम से पास नहीं करवाया गया था। हाल ही में मल्याणा में दो गुटों में हुए विवाद के बाद संजौली मस्जिद का मामला उठा था। इसके बाद 2 सितंबर को अवैध निर्माण के विरोध में विभिन्न संगठनों और स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया था। देवभूमि संघर्ष समिति, हिंदू जागरण मंच, विश्व हिंदू परिषद और स्थानीय लोगों ने अवैध निर्माण पर कार्रवाई न करने पर सवाल उठाए थे। शिमला समेत प्रदेश भर में इस मामले को लेकर प्रदर्शन भी हुए। अब मामले में नया मोड़ आ गया है।