अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में आने वाल देवी-देवता वाटर प्रूफ टेंट में ठहरेंगे और लकड़ी के आसन पर विराजेंगे। देवी-देवताओं के महाकुंभ के लिए जिलाभर से देवी-देवता लाव-लश्कर के साथ ढालपुर के मैदान में पहुंचेंगे। देवता सात दिनों तक अस्थायी शिविर में ही डेरा लगाए रहेंगे। कई देवताओं के पास अपने टेंट हैं। जबकि कुछ को प्रशासन ने दिए हैं। बताया जा रहा है कि प्रशासन की ओर जो टेंट दिए जा रहे हैं, वह अच्छी क्वालिटी के हैं।
हवा और पानी का इन पर कोई असर नहीं होता है। एक टेंट की कीमत 70,000 से लेकर 80,000 रुपये बताई जा रही है। वहीं देवलु भी अब ढालपुर मैदान पहुंचने लगे हैं। अपने-अपने देवी-देवताओं के अस्थायी शिविरों के पास सफाई आदि कार्य कर अन्य व्यवस्थाएं जांची जा रही हैं। दशहरा में देवी-देवताओं को बैठने के लिए प्रशासन ने लकड़ी के आसन (पटड़ा) की व्यवस्था की है। दशहरा में देवता इसी लकड़ी के आसन पर ही बैठते हैं। कुछ देवताओं के बैठने की व्यवस्था अलग रहती है।
टेंट किन-किन देवताअों को मिलेंगे अभी तय नहीं
दशहरा में देवताओं को वाटर और विंड प्रूफ टेंट दिए जाएंगे। बारिश होने पर पानी टेंट के अंदर नहीं आएगा। इस साल ट्रायल बेस पर करीब 25 टेंट दिए जाएंगे। हालांकि ये टेंट किन-किन देवताओं को दिए जाएंगे, यह अभी तय नहीं हुआ है। लेकिन उत्तम क्वालिटी के यह टेंट मिलने से देवलुओं को दशहरा के दौरान खासकर बारिश में किसी तरह की परेशानी नहीं होगी।