सात साल से बच्चों सहित पति से अलग रहने वाली महिलाएं भी मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना के लिए पात्र होंगी। महिलाओं को योजना का लाभ लेने से पूर्व पंचायत प्रधान की रिपोर्ट देनी होगी। उनकी वार्षिक आय एक लाख से कम होनी चाहिए। प्रदेश सरकार ने इसके लिए बाकायदा अधिसूचना जारी कर दी है। लिहाजा, घरेलू हिंसा समेत अन्य वजहों के चलते बच्चों समेत पति से अलग रहने वाली महिलाओं के बच्चों को उनके पांव पर खड़े करने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से योजना आरंभ की गई है। मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना में मदर टेरेसा योजना को भी कन्वर्ट किया जाएगा।
प्रदेश भर में विधवा, तलाकशुदा और सात साल से पति से बच्चों समेत अलग रह कर परिवार का भरण-पोषण करने वाली महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना मददगार साबित होने वाली है। योजना के जरिये विधवाओं, तुलाकशुदा और पति से अलग रहने वाली महिलाओं के बच्चों, जिनकी आयु 0 से 18 वर्ष है उन्हें एक हजार रुपये प्रति माह और 10 से 27 वर्ष या यदि मेधावी बच्चे एमबीबीएस या अन्य कोई डिग्री हासिल करना चाहते हैं तो उनकी पढ़ाई का पूरा खर्च योजना के तहत वहन होगा। इससे पूर्व इस प्रकार की योजना न होने के कारण पति-पत्नी के विवाद के बाद बच्चों के साथ रहने वाली महिलाओं को बच्चों को शिक्षित करने समेत उनकी उच्च शिक्षा के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता था।
सूत्रों के अनुसार, मदर टेरेसा के तहत 250 के मामले मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना में सम्मलित किए जाएंगे। इसके अलावा अभी विभाग के पास सात वर्ष से बच्चों समेत पति से अलग रहने वाली महिला संबंधी कोई मामला नहीं पहुंचा है। जिला कार्यक्रम अधिकारी राकेश पंजौरिया ने खबर की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि सात साल से पति से बच्चों समेत अलग रहने वाली महिलाएं, विधवा, तलाकशुदा महिलाएं मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना के जरिये लाभान्वित हो सकती हैं। महिलाओं को पंचायत प्रधान की रिपोर्ट और एक लाख से कम आय समेत अन्य दस्तावेज विभाग के कार्यालय में जमा करवाने होंगे।
ये दस्तावेज होंगे आवश्यक
एक लाख से कम आय का वार्षिक प्रमाण पत्र, हिमाचली प्रमाण पत्र, पंचायत प्रधान की रिपोर्ट, परिवार नकल, आधार कार्ड नंबर, यदि पति की मृत्यु हो चुकी है तो उसका मृत्यु प्रमाण पत्र भी इसके लिए अनिवार्य दस्तावेज रहेगा।