हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार के दो साल पूरे होने जा रहे हैं। इससे कांग्रेस विधायकों में एक बार फिर मंत्री बनने की हसरत जाग गई है। इन दिनों राज्य मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए कुछ विधायक सक्रिय बताए जा रहे हैं। रिक्त चल रहे एक पद को भरने के लिए एक अनार सौ बीमार की स्थिति बन सकती है। क्वार दौरे के बाद मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मीडिया के एक सवाल पर कहा था कि राज्य मंत्रिमंडल में रिक्त चल रहे एक पद को भरने के लिए हाईकमान से स्वीकृति ली जाएगी। इसके बाद कांग्रेस विधायकों में हलचल है।
राज्य मंत्रिमंडल में हो सकते हैं इतने सदस्य
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व के राज्य मंत्रिमंडल में उनके अलावा केवल 11 सदस्य हो सकते हैं। वर्तमान में मुख्यमंत्री के अलावा उप मुख्यमंत्री और नौ मंत्री हैं। दरअसल वैधानिक नियमों के अनुसार इस कैबिनेट में मुख्यमंत्री सहित 12 सदस्य ही बनाए जा सकते हैं। मुख्यमंत्री सुक्खू ने पहले तीन पद खाली रखे थे। राजेश धर्माणी और यादविंद्र गोमा को भी कुछ महीने पहले ही मंत्री बनाया गया है। अब एक पद ही शेष रह गया है। इसी पर कुछ विधायकों की नजरें टिकी हैं। कोई वरिष्ठता की पात्रता बता रहे हैं तो कोई जातीय, क्षेत्रीय संतुलन से भी आस लगाए हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री मंत्री पद के ज्यादा तलबगार होने की स्थिति में किसी को नाराज न करने की वजह से मंत्रिमंडल विस्तार को फिर आगे टालेंगे या नहीं। इस पर भी पहेलियां बूझी जा रही हैं।
मंडी या कांगड़ा संसदीय क्षेत्र को मिल सकता है मंत्री पद
प्रदेश में मंडी या कांगड़ा संसदीय क्षेत्र को मंत्री पद मिल सकता है। मंडी संसदीय क्षेत्र में वर्तमान में एक मंत्री जगत सिंह नेगी हैं और वह किन्नौर से हैं। मंत्री पद के लिए कुल्लू और लाहौल-स्पीति की दावेदारी ज्यादा है। मंडी में एक धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर बाकी नौ जिले मंडी संसदीय क्षेत्र में आते हैं, लेकिन नौ सीटों में से सभी पर भाजपा के विधायक हैं। धर्मपुर से ही एकमात्र कांग्रेस विधायक चंद्रशेखर हैं, मगर यह विधानसभा क्षेत्र हमीरपुर में आता है।
कुल्लू की दावेदारी ज्यादा मजबूत
ऐसे में कुल्लू की दावेदारी ज्यादा मजबूत है। कुल्लू के कांग्रेस विधायक और मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर इस दावेदारी में इसलिए आगे हैं। उनके अलावा कांग्रेस की महिला विधायक होने के नाते पहली बार चुनी गईं अनुराधा राणा की भी लॉटरी लग सकती है। कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से भी मंत्री बनाया जा सकता है। यहां से एक वरिष्ठ नेता भी मुख्यमंत्री यह जिम्मा दे सकते हैं