अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान बिलासपुर में किडनी प्रत्यारोपण के लिए आईसीयू की तीन बिस्तरों की सुविधा शुरू हो गई है। दो करोड़ की लागत से एम्स में इस आईसीयू को शुरू किया गया। अब इन रोगियों को इन सेवाओं के लिए प्रदेश के बाहर नहीं जाना पड़ेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने गत सप्ताह इस सुविधा का शुभारंभ वर्चुअल किया है। इसके शुरू होने से रोगियों को पीजीआई के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। विशेष रूप से एम्स बिलासपुर में मिलने वाली किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा से हर साल 100-150 रोगियों को लाभ होगा।
इन मरीजों को इससे पहले इलाज के लिए प्रदेश से बाहर का रुख करना पड़ता था। पड़ोसी राज्यों के मरीजों को भी इसका लाभ मिलेगा। एम्स प्रबंधन का कहना है कि एम्स की नई सुविधा स्थानीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में विश्वास, आत्मविश्वास की भावना को बढ़ावा देगी। इससे अधिक रोगियों को उपचार के विकल्प के रूप में प्रत्यारोपण का विकल्प चुनने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। यह विस्तार अंग प्रत्यारोपण तक पहुंच बढ़ाने के राष्ट्रीय प्रयासों के अनुरूप है। क्षेत्र में नेफ्रोलॉजी और अंगदान जागरुकता में तेज प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
देश में 80 फीसदी से अधिक किडनी प्रत्यारोपण जीवित दाताओं पर निर्भर
भारत में 80 फीसदी से अधिक किडनी प्रत्यारोपण जीवित दाताओं पर निर्भर करते हैं। मृतक दाता प्रत्यारोपण के लिए जागरूकता और बुनियादी ढांचे को बढ़ाने से कई और लोगों की जान बच सकती है। एम्स बिलासपुर की किडनी प्रत्यारोपण सुविधा न केवल रोगियों की समस्या कम करेगी, बल्कि प्रदेश और पड़ोसी क्षेत्रों में एक अधिक मजबूत स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में योगदान देगी। इससे लंबे समय में जीवन और स्वास्थ्य परिणाम बदल जाएंगे।
वित्तीय तनाव, भावनात्मक कठिनाइयों से मिलेगी राहत
एम्स में किडनी ट्रांसप्लांट शुरू होने और आईसीयू की सुविधा मिलने से यहां के लोगों को वित्तीय तनाव से राहत दिलाएगा। इसके अलावा मरीज को पीजीआई और अन्य बाहरी राज्यों में इलाज के लिए ले जाते समय होने वाली भावनात्मक व अन्य परेशानियों से भी निजात मिलेगी। वहीं किडनी डायलिसिस की सुविधा भी पहले से ही एम्स में मिल रही है।