हिमाचल की महिलाओं में बच्चेदानी के मुंह के कैंसर में कमी आई है, जबकि स्तन कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। खानपान सही न होना और ज्यादा उम्र होने पर शादी करने से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा अधिक हो रहा है। वहीं, पुरुषों में फेफड़ों के कैंसर के मामले ज्यादा आ रहे हैं। शराब के साथ-साथ धूम्रपान करने से पुरुषों में फेफड़ों का कैंसर ज्यादा हो रहा है।
प्रदेश के सबसे बड़े इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) में हर साल औसतन 150 से ज्यादा मामले महिलाओं में स्तन कैंसर के आ रहे हैं। वहीं 50 साल से अधिक उम्र के लोगों में फेफड़ों के कैंसर के करीब 350 नए मामले दर्ज हो रहे हैं। आईजीएमसी में आने वाले मरीजों और उनके अभिभावकों को कैंसर से बचाव की जानकारी दी जा रही है। पिछले पांच सालों में 700 रोगियों का इलाज हुआ है।
कैंसर अस्पताल प्रशासन की मानें तो बच्चेदानी के मुंह के कैंसर में कमी आने का मुख्य कारण महिलाओं का जागरूक होना है। इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए अस्पताल में वैक्सीन उपलब्ध है। आठ साल पहले महिलाओं में यह बीमारी कॉमन थी। अब कमी आई है। अब स्तन कैंसर के मामले आ रहे हैं। इसका कारण ज्यादा उम्र में शादी करना, सही खानपान न होना सामने आ रहा है। स्तन में गांठें हो रही हैं। मोटापा आ रहा है, इससे भी स्तन कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। डॉक्टरों का मानना है कि अगर कैंसर हड्डियों में जाए, तो उसे स्टेज चार में भी ठीक किया जा सकता है। फेफड़ों और शरीर के अन्य हिस्से में जाने से मरीज को बचाना मुश्किल होता है।
टांडा में हर माह आ रहा एक मरीज
टांडा मेडिकल कॉलेज कांगड़ा में वर्ष 2023 में 18,798 कैंसर के मरीज इलाज के लिए आए थे। 2024 में एक हजार नए मरीज पहुंचे। हर माह धूम्रपान के कारण कैंसर के 30 से 40 मामले सामने आ रहे हैं, यानी हर दिन नया मामला सामने आता है।
कैंसर जानलेवा नहीं है। शुरुआत में इलाज संभव है। लोग जागरुक हुए हैं। अस्पताल आ रहे मरीजों को ठीक कर घर भेजा जा रहा है। पहले कैंसर की बीमारी का इलाज महंगा था, अब हिमकेयर और आयुष्मान योजना में निशुल्क उपचार हो रहा है। –डॉ. मनीष गुप्ता, एचओडी, आईजीएमसी कैंसर अस्पताल, शिमला
कैंसर अस्पताल में प्रतिदिन 70 से 80 लोग उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। 50 साल से ज्यादा उम्र के लोग इलाज कराने पहुंच रहे हैं। इनमें से कई में कैंसर की पुष्टि हो रही है। लोगों को कैंसर से घबराने की जरूरत नहीं है।