हिमाचल प्रदेश के किसी भी क्षेत्र से जीवाश्म निकलने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, जानें पूरा मामला


 

High Court has banned the extraction of fossils from any area of Himachal Pradesh know the whole matter

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश के किसी भी क्षेत्र में जीवाश्म के खनन और उसके व्यापार पर रोक लगा दी है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने स्पीति क्षेत्र के लांग्जा गांव सहित राज्य के किसी भी हिस्से से जीवाश्म निकालने, इकट्ठा करने और व्यापार पर पूरी तरह रोक लगा दी है। अदालत ने मुख्य सचिव, उपायुक्त लाहौल-स्पीति समेत अन्य को निर्देश दिए कि यहां जीवाश्म संबंधित गतिविधियों न हों। अदालत ने तीन सप्ताह के भीतर प्रतिवादियों को जवाब दायर करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 31 दिसंबर को होगी।

अदालत ने यह संज्ञान अधिवक्ता पूनम गहलोत की ओर से दायर जनहित याचिका पर लिया। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि स्पीति घाटी समृद्ध जीवाश्म भंडारों के लिए प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र में संरक्षित जीवाश्मों की एक महत्वपूर्ण संख्या है, जिसमें अम्मोनाइट्स, ब्राचिओपोड्स, बाइवाल्व्स और कोरल जैसे समुद्री जीव शामिल हैं। ये जीवाश्म पृथ्वी की प्राचीन जैव विविधता और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्रों, खासतौर पर टेथिस सागर में मौजूद पारिस्थितिकी तंत्रों के बारे में जानकारी देते हैं।

ये भंडार हिमालय के उदय से बहुत पहले समुद्री जीवन के विकास के अध्ययन करने का अवसर देते हैं। उन्होंने कहा कि स्पीति में पाए गए जीवाश्म टेथिस सागर में मौजूद जीवन के अवशेष हैं, जो एक प्राचीन महासागर था जो कभी भूमध्य सागर से लेकर हिंद महासागर तक फैले दक्षिण एशिया के बड़े हिस्से में फैला था। मेसोजोइक युग के दौरान टेथिस सागर एक महत्वपूर्ण समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र था, जो कई तरह के समुद्री जीवों के लिए आवास प्रदान करता था। भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव के कारण टेक्टोनिक बदलावों के कारण टेथिस सागर के महासागर तल का उत्थान हुआ, जिसके कारण जीवाश्म स्पीति घाटी के उच्च क्षेत्र में आ गए।

अधिवक्ता ने जनहित याचिका में कहा कि 16 नवंबर 1972 को यूनेस्को के महाधिवेशन द्वारा विश्व धरोहर कन्वेंशन को अपनाया गया। इसके तहत विश्व धरोहर स्थलों का निर्माण किया गया, जिसका प्राथमिक लक्ष्य प्रकृति संरक्षण, सांस्कृतिक संपत्तियों का संरक्षण और सुरक्षा है। यह सम्मेलन, अंतरराष्ट्रीय समझौते का एक हस्ताक्षरित दस्तावेज है, जो विश्व धरोहर समिति के काम का मार्गदर्शन करता है कि किन स्थलों को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने पर विचार किया जा सकता है। जनहित याचिका लांग्जा और आसपास गांव में जीवाश्म विरासत के चल रहे दोहन के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर की गई है।

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