चंड़ीगढ़ से 5 जनवरी को गिरफ्तार उद्घोषित अपराधी मनदीप सिंह के मामले की जांच में बड़े खुलासे हुए हैं। जांच में यह भी पाया गया कि पैरोल पर बाहर आए कैदी ने मौत की झूठी कहानी रची थी। आरोपी वर्तमान में जहां रह रहा था, वहां भी खुद को कथित तौर पर बिश्नोई गैंग का सदस्य बता रौब दिखाता था। उद्घोषित अपराधी ने साल 2011 में हमीरपुर में सुभाष नाम के ठेकेदार की डंडों से पीटकर हत्या कर दी थी। अपराधी ने पैरोल के दौरान वर्ष 2017 में औट थाना के तहत ब्यास किनारे अपनी बाइक, सुसाइड नोट और कुछ सामान छोड़कर आत्महत्या का षड्यंत्र रचा था।
इस दौरान बाइक और सामान की पुष्टि परिजनों ने की थी। परिजनों ने भी इसे मरा हुआ मान लिया था, लेकिन पुलिस इस पहलू पर जांच कर रही है कि क्या इस तमाम षड्यंत्र में इसके परिजनों का हाथ है या नहीं। यदि परिजनों की इसमें संलिप्तता पाई जाती है पुलिस मामले में कार्रवाई करेगी। एसपी हमीरपुर भगत सिंह ठाकुर ने मंगलवार को प्रेसवार्ता कर इस मामले की जांच हुए इन खुलासों की जानकारी दी। एएसपी हमीरपुर राजेश कुमार, डीएसपी नितिन डोगरा, भोरंज एसएचओ प्रशांत ठाकुर और पीओ सैल की टीम के अपराधी को पकड़ने में अहम प्रयास रहे हैं।
अदालत ने वर्ष 2012 में आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जिला कारागार हमीरपुर से वर्ष 2013 पेरोल पर बाहर आए कैदी मनदीप पुत्र विशंभर दास गांव घुमारवीं पंचायत लगमनवीं जिला बिलासपुर को चंडीगढ़ में बीते रविवार को गिरफ्तार किया है। वर्ष 2013 में पैरोल के दौरान कैदी ने भोरंज थाना के क्षेत्राधिकार में एक चोरी की वारदात को भी अंजाम दे दिया। चोरी के मामले में चार्जशीट के बाद वर्ष 2017 में कैदी उम्रकैद की सजा के दौरान फिर पैरोल पर बाहर आया। इस दौरान कैदी ने आत्महत्या की झूठी कहानी रची।
अपराधी ने सुनील नाम से फर्जी आधार कार्ड बना लिया था और एक गाड़ी भी खरीदी थी। वह चंडीगढ़ में टैक्सी चलाने का कार्य भी कर रहा था। इस दौरान बीच में वह अपने रिश्तेदारों से मिलने हमीरपुर भी आया था। औट में मौत का ढोंग रचने के बाद पुलिस ने अपराधी के शव को ढूंढने के प्रयास भी किए। शव नहीं मिलने पर इसे मरा हुआ मान लिया गया था, लेकिन पुलिस की ओर से इसे ढूंढने के प्रयास जारी रखे गए थे। अब अपराधी को अदालत ने 10 जनवरी तक पुलिस रिमांड पर भेजा है। आरोपी को शिनाख्त के लिए उसके रिश्तेदारों के घरों में पुलिस लेकर गई है।