
आईपीएस अधिकारी इल्मा अफरोज के खिलाफ कांग्रेस विधायक रामकुमार की विशेषाधिकार हनन की शिकायत पर पुलिस मुख्यालय की ओर से की गई जांच रिपोर्ट को विधानसभा सचिवालय ने लौटा दिया है। यह रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय ने सरकार के साथ विधानसभा सचिवालय को भी भेज दी थी। लेकिन इसे डीजीपी के बजाय गृह सचिव के माध्यम से मांगा गया है। तकनीकी कारणों से विधानसभा सचिवालय केवल सचिव के माध्यम से आए मामले को ही देख सकता है। विभागाध्यक्षों की ओर से सीधे किए पत्राचार को वैधानिक नहीं मानता है। दून के कांग्रेस विधायक रामकुमार ने जासूसी के आरोपों में विशेषाधिकार हनन को लेकर शिकायत की है, उसी पर सरकार से जांच रिपोर्ट मांगी गई थी। सरकार ने इसकी जांच पीएचक्यू को दी थी।
विधायक राम कुमार की ओर से एसपी बद्दी रहीं इल्मा अफरोज पर जासूसी करने के आरोप लगाए गए थे और कहा था कि यह एक विधायक के विशेषाधिकार हनन का मामला है। इसी पर गृह विभाग से जवाब मांगा गया था तो अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह ओंकार शर्मा ने इस विशेषाधिकार हनन नोटिस पर विधानसभा सचिवालय को जवाब देने से पहले गृह विभाग ने डीजीपी से जांच रिपोर्ट मांगी थी। विधायक ने विधानसभा अध्यक्ष से कार्रवाई की मांग की।
पुलिस मुख्यालय ने इस संबंध में इल्मा अफरोज से भी जानकारी ली है। इसे अपनी जांच रिपोर्ट में शामिल किया है। सूत्रों के अनुसार इस रिपोर्ट में जासूसी के आरोपों को खारिज किया गया है। पिछले कुछ समय से दून के विधायक और हाल ही में मुख्य संसदीय सचिव के पद से हटे राम कुमार व पुलिस अधीक्षक इल्मा अफरोज के बीच टकराव की स्थिति बनी है। इसी बीच एसपी अफरोज अवकाश पर भी रहीं। वह कई बार अवकाश की अवधि बढ़ा चुकी है।