हिमाचल में जल्द बंद हो सकती है अयोग्य विधायकों की पेंशन, आपत्तियां दूर कर राजभवन भेजा विधेयक

Pension of disqualified MLAs may be stopped soon in Himachal

हिमाचल प्रदेश में अयोग्य विधायकों की पेंशन जल्द बंद हो सकती है। सरकार ने राज्यपाल की आपत्तियों को दूर कर राजभवन की मंजूरी के विधेयक वापस भेज दिया है। बीते साल सितंबर में विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान अयोग्य विधायकों को पेंशन नहीं देने का फैसला हुआ था। बीते वर्ष बजट सत्र में छह कांग्रेस विधायकों की ओर से क्राॅस वोटिंग करने के बाद यह विधेयक लाया गया। विधेयक मंजूर होने पर पूर्व विधायक देवेंद्र भुट्टो और चैतन्य शर्मा को पेंशन और भत्ते नहीं मिलेंगे। सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा, आईडी लखनपाल, रवि ठाकुर के कार्यकाल की पेंशन में गणना नहीं होगी। इन सभी विधायकों से पेंशन और भत्तों की रिकवरी करने का प्रावधान भी विधेयक में किया गया है।

हिमाचल प्रदेश विधानसभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) संशोधन विधेयक 2024 को विधानसभा ने पारित कर राजभवन भेजा था। राज्यपाल ने विधेयक को लेकर कुछ आपत्तियां जताईं थीं। राजभवन ने सरकार से पूछा था कि संशोधन विधेयक की धारा 6 (ख) में लागू होने की तिथि नहीं बताई गई है। संशोधन विधेयक 2024 में यह प्रस्तावित है कि संविधान की दसवीं अनुसूची के अनुसार किसी भी समय अयोग्य घोषित होने पर कोई व्यक्ति पेंशन पाने के लिए अयोग्य हो जाएगा। इसके अलावा यह प्रावधान किया गया है कि पहले से प्राप्त पेंशन की वसूली अयोग्य घोषित व्यक्ति से की जाएगी।

हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि प्रावधान के अनुसार विधानसभा का फिर से सदस्य बनने के लिए व्यक्ति को दी जा रही अतिरिक्त पेंशन की भी वसूली की जानी है या नहीं? यदि कोई अयोग्य व्यक्ति फिर निर्वाचित होकर विधानसभा का सदस्य बनता है, तो ऐसी स्थिति में क्या उसे अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद पेंशन मिलनी शुरू हो जाएगी या वह अयोग्य व्यक्ति के रूप में ही रहेगा? ऐसा व्यक्ति पेंशन का पात्र होगा या नहीं? उधर, सूत्रों ने बताया कि सरकार की ओर से इन सभी सवालों के जवाब राजभवन भेज दिए गए हैं। अब अयोग्य विधायकों की पेंशन व भत्ते बंद करने को लेकर राज्यपाल को फैसला लेना है।

दल बदल के तहत अयोग्य हुए कांग्रेस विधायक
बीते वर्ष बजट सत्र के दौरान राज्यसभा चुनाव को लेकर खूब सियासी ड्रामा हुआ था। कांग्रेस के छह विधायकों और तीन निर्दलीय विधायकों ने भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन को वोट दे दिया था। इसके बाद इन छह कांग्रेस विधायकों ने बजट पारित करने के दौरान पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया। इनके खिलाफ दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई हुई। बाद में इन्होंने भाजपा की टिकट पर उपचुनाव लड़ा। इनमें से सुधीर शर्मा और इंद्र दत्त लखनपाल चुनाव जीतकर आ गए, जबकि देवेंद्र भुट्टो, चैतन्य शर्मा, रवि ठाकुर और राजेंद्र राणा चुनाव हार गए। दलबदल कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले इन्हीं विधायकों की इस अवधि की पेंशन और भत्ते रोकने के लिए यह विधेयक लाया गया है।

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