
केंद्र सरकार ने एसजेवीएनएल और एनएचपीसी की चार बिजली परियोजनाएं हिमाचल को सौंपने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। एनएचपीसी की डुगर परियोजना के साथ एसजेवीएनएल के लुहरी, सुन्नी और धौलासिद्ध बिजली प्रोजेक्ट जल्द हिमाचल सरकार के अधीन होंगी। इन परियोजनाओं की लागत का मूल्यांकन किया जा रहा है। वीरवार को नई दिल्ली में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने केंद्रीय उपक्रमों की चार परियोजनाओं को हिमाचल को देने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी देने के लिए आभार जताया।
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री खट्टर से भेंट कर हिमाचल के हितों से जुड़े कई अहम मुद्दे उठाए। उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसयू) की ओर से संचालित जलविद्युत परियोजनाओं में राज्य की मुफ्त बिजली में हिस्सेदारी बढ़ाने का आग्रह किया। खासकर उन परियोजनाओं में जहां लागत पहले ही वसूल की जा चुकी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है, लेकिन इसके वाजिब अधिकारों की भी रक्षा की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि हालांकि सार्वजनिक क्षेत्र और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का जल विद्युत उत्पादन के माध्यम से विस्तार हो चुका है, लेकिन हिमाचल को इसका जायज हक नहीं मिला है। उन्होंने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) से बकाया राशि जारी करने का भी अनुरोध किया। उन्होंने बीबीएमबी में हिमाचल से एक स्थायी सदस्य नियुक्त करने की आवश्यकता पर बल दिया। मुख्यमंत्री ने बैरा-स्यूल परियोजना को हिमाचल को सौंपने की लंबित मांग पर भी चर्चा की। इसका निर्माण साल 1980-81 में किया गया था।
जाठिया देवी टाउनशिप के लिए मांगा पैसा
मुख्यमंत्री ने जाठिया देवी टाउनशिप के विकास के लिए केंद्रीय निधि की भी मांग की। शहरी विकास विभाग के तहत चल रही विभिन्न परियोजनाओं पर मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री खट्टर के साथ विचार-विमर्श किया। खट्टर ने मुख्यमंत्री को केंद्र से हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया।