हिमाचल प्रदेश में अब 2.5 फीसदी स्लैब में आने वाले कारोबारियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा। टैक्सी और बसों के माध्यम से दूसरों को काम देने वाली ट्रांसपोर्ट कंपनियां इस फैसले से प्रभावित होंगी। जीएसटी काउंसिल की बैठक में हुए इस फैसले को प्रदेश सरकार ने लागू कर दिया है। बुधवार को राजपत्र में इस बाबत अधिसूचना जारी हुई है। राज्य कर एवं आबकारी विभाग ने जीएसटी काउंसिल के निर्देशानुसार इनपुट टैक्स क्रेडिट की सीमा को तय किया है। इसमें मूल रूप से टैक्सी या बसों की सेवा का काम दूसरों को देने वाली ट्रांसपोर्ट कंपनियां इससे प्रभावित होंगी। उद्योगों, कारोबारियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्हें ये क्रेडिट पहले की तरह मिलता रहेगा। इनपुट टैक्स क्रेडिट वह क्रेडिट होता है जो किसी निर्माता या सर्विस प्रोवाइडर को अंतिम आउटपुट पर टैक्स चुकाने के दौरान गुड्स और सर्विस के इनपुट पर टैक्स का भुगतान करने पर मिलता है। उदाहरण के तौर पर क ने मोटर कैब में नई दिल्ली से जयपुर तक परिवहन के लिए ख को 1000 रुपये में रखा है। ख उक्त सेवा की आपूर्ति के लिए ग से चालक के साथ 800 रुपये में एक मोटर कैब किराए पर लेता है। ग 6 फीसदी (48 रुपये) की दर से ख से राज्य कर लेता है। यदि ख 2.5 फीसदी की दर से क से राज्य कर लेता है तो व ग द्वारा एक ही प्रकार के व्यापार की आपूर्ति में इनपुट सेवा पर केवल 20 रुपये (800 रुपये का 2.5 फीसदी) की सीमा तक इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने का हकदार होगा ना कि 48 रुपये