# किसान आंदोलन का असर: दिल्ली नहीं जा रहा तैयार माल, उद्योगों में उत्पादन ठप|

Impact of kisan andolan: Finished goods are not going to Delhi, production in industries stopped

उद्योगों पर लगातार देनदारी बढ़ रही है। बीबीएन के एप्लाइंसेस उद्योगों से तैयार होने वाले माल की खपत दिल्ली की मार्केट की है, लेकिन पांच दिन से यहां पर कोई भी माल नहीं गया है। 

 हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र के एप्लाइंसेस उद्योग पर किसान आंदोलन की मार पड़ गई है। उद्योगों में उत्पादन न के बराबर हो रहा है। पांच दिन से दिल्ली बंद होने से इन उद्योगों से माल नहीं निकला है। उद्योगों पर लगातार देनदारी बढ़ रही है।

बीबीएन के एप्लाइंसेस उद्योगों से तैयार होने वाले माल की खपत दिल्ली की मार्केट की है, लेकिन पांच दिन से यहां पर कोई भी माल नहीं गया है। यहां का 80 फीसदी माल दिल्ली जाता है, लेकिन पंजाब और हरियाणा में किसान आंदोलन के चलते जगह-जगह नाके लगे हुए हैं जिससे न तो कोई कच्चा माल हिमाचल आ रहा और न ही तैयार माल दिल्ली जा रहा है।

लघु उद्योग भारती के प्रदेश अध्यक्ष हरबंस पटियाल ने कहा कि सरकार को इस आंदोलन का जल्द ही वार्ता कर सुलझा लेना चाहिए। अचानक हड़ताल से लघु उद्योगपति सकते में आ गए हैं। वह न तो उद्योग चलाने की स्थिति में है और न ही बंद रख सकते हैं।

लगातार लेबर, बिजली, बैंक की देनदारी चढ़ रही है। ऐसे में अगर यह आंदोलन लंबा चलता है तो जिन उद्योगों का माल दिल्ली जाता है। वह बंद हो जाएंगे। वहीं ईएसआईसी से सेवानिवृत हुए सहायक निदेशक देवव्रत यादव ने कहा कि कोई भी ट्रक दिल्ली जाने के लिए तैयार नहीं है। रास्ते में आंदोलन के चलते ट्रक संचालक नुकसान को लेकर डरे हुए है और जो ट्रक बाहरी राज्य से हिमाचल आ रहे है वह भी जाम में फंसे हैं।

पांचवें दिन भी दिल्ली नहीं गए ट्रक
 पांचवें दिन भी कोई ट्रक दिल्ली नहीं गया। ट्रक यूनियन के महासचिव दिनेश कौशल ने बताया कि पांचवें दिन भी कोई ट्रक नहीं गया। उद्योगों से दिल्ली की काफी डिमांड है लेकिन ट्रक चालक जाने को तैयार नहीं हैं। बीबीएनआईए के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली से कच्चा और तैयार माल न जाने से अब उद्योग बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं। उद्योगो में स्टोर करने की क्षमता समाप्त हो रही है। कई उद्योग शटडाउन में बंद होने शुरू हो गए हैं।

किसान आंदोलन से ट्रेनों में घट गई पर्यटकों की संख्या
किसान आंदोलन का असर अब विश्व धरोहर कालका-शिमला रेललाइन पर चलने वाली ट्रेनों पर भी पड़ना शुरू हो गया है। कालका से शिमला चलने वाली ट्रेनों में बुकिंग करीब 40 फीसदी तक घट गई है। दिल्ली से आने वाली ट्रेनों में भी कम सवारियां आने के चलते भीड़ भी कम होती जा रही है। किसानों बाहरी राज्यों में ट्रेनों को रोकने के चलते लोगों ने अपनी बुकिंग रद्द करनी शुरू कर दी है। हालांकि चंडीगढ़ और कालका में किसान आंदोलन नहीं हो रहा है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में किसानों ने रेलवे ट्रैक को बाधित कर रखा है। इससे कई ट्रेनें भी देरी से आ रही हैं। अधिकतर असर पंजाब से आने वाली ट्रेनों पर पड़ रहा है।

चंडीगढ़ से अन्य ट्रेनों का सहारा लेकर कालका रेलवे स्टेशन आने वाले यात्री बहुत कम हो गए हैं। इसके चलते कालका-शिमला रेलवे ट्रैक पर कम सवारियों के साथ ही टॉय ट्रेन चल रही है। वहीं कसौली और चायल के होटलों में भी पर्यटकों की संख्या कम हो गई है।

पर्यटकों के प्रदेश में रुख न करने के चलते वीकेंड में भी संख्या बढ़ नहीं रही है। ऐसे में होटल कारोबारियों को फिर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश में बर्फबारी होने से पर्यटकों में इजाफा हुआ था। लेकिन किसान आंदोलन के कारण फिर वहीं हाल होटलों में हो गया है। उधर, रेलवे अधिकारी ने बताया कि किसान आंदोलन के चलते कालका शिमला रेललाइन पर ट्रेनों में बुकिंग कम हो गई है। इधर, एनएच पर भी वाहनों की आवाजाही का असर पड़ा है।

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