हर साल हिमाचल का करीब एक करोड़ पेटी सेब कोल्ड स्टोर में जाता है। अवैध रूप से भारत आ रहे सस्ते सेब के कारण हिमाचली सेब की मांग खत्म हो गई है।
नवरात्र से पहले फलों की मांग में भारी इजाफा होने के बावजूद कोल्ड स्टोर में रखा हिमाचली सेब बुरी तरह पिट गया है। प्रदेश के बागवानों और कारोबारियों को कोल्ड स्टोर में रखा सेब घाटे में बेचना पड़ रहा है। हर साल हिमाचल का करीब एक करोड़ पेटी सेब कोल्ड स्टोर में जाता है। अवैध रूप से भारत आ रहे सस्ते सेब के कारण हिमाचली सेब की मांग खत्म हो गई है। अप्रैल की शुरूआत में ही सेब की मार्केट करीब 30 से 40 फीसदी तक गिर गई है। सीजन के दौरान कोल्ड स्टोर में रखा सेब दिल्ली की आजादपुर मंडी में इन दिनों 800 से 1200 रुपये पेटी बिक रहा है।
बीते साल जुलाई-अगस्त में सीजन के दौरान यह सेब 1800 से 2000 रुपये बॉक्स बिका था। एक पेटी सेब कोल्ड स्टोर में रखने का किराया ही करीब 350 चुकाना पड़ता है। ऐसे में ऑफ सीजन में अच्छे दामों के लिए सेब कोल्ड स्टोर में रखने वाले बागवानों और कारोबारियों को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। भारत में ईरान और अफगानिस्तान के सेब की आमद में भारी बढ़ोतरी होने से बागवानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
कोल्ड स्टोर में रखे सेब के दामों में पहली बार रिकार्ड गिरावट आई है। एक बॉक्स पर 1,000 रुपये तक नुकसान हो रहा है। आढ़तियों की पेमेंट फंस गई है। बीते साल बारिश ज्यादा होने से सेब स्टोर क्वालिटी का नहीं बना था। अब जब यह स्टोर से निकल रहा है तो क्वालिटी सही न होने से बिल्कुल डिमांड नहीं है। -सुशील ठाकुर, उपाध्यक्ष, प्रदेश आढ़ती महासंघ
30 देशों से भारत पहुंचा 2 करोड़ पेटी सेब ः बीते साल जनवरी 2023 से नवंबर 2023 तक 30 देशों से भारत में करीब 2 करोड़ पेटी सेब आयात हुआ। इस अवधि में ईरान, अफगानिस्तान, न्यूजीलैंड और चिली, यूएसए और ब्राजील से सबसे अधिक सेब आयात हुआ। ईरान और अफगानिस्तान का सेब अवैध रूप से भारत पहुंच रहा है, जिसके चलते इसके दाम कम हैं। साफ्ता (साउथ एशियन फ्री ट्रेड एरिया) के चलते बिना शुल्क चुकाए ईरानी सेब अफगानिस्तान के रास्ते भारत पहुंच रहा है।
हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के बागवान 2021 से मोदी सरकार से सेब पर आयात शुुल्क 100 फीसदी करने की मांग उठा रहे हैं लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया। इस साल स्वदेशी सेब की मंडियों में मांग नहीं है क्योंकि भारी मात्रा में विदेशी सेब मंडियाें में भरा पड़ा है। – संजय चौहान सह-संयोजक, संयुक्त किसान मंच
ईरानी सेब के कारण स्टोर में रखे बागवानों के सेब को सही दाम नहीं मिल रहे हैं। बिना आयात शुल्क चुकाए अवैध रूप से कम खर्चे में ईरानी सेब भारत पहुंच रहा है। -आशुतोष चौहान उपाध्यक्ष, प्रोगेसिव ग्रोवर्स एसोसिएशन
सेब आयात का बेस रेट 100 रुपये और आयात शुल्क 100 फीसदी हो
सेब की खपत के लिए विदेशों को भारत में बड़ा बाजार मिलता है। हिमाचल के बागवानों की मांग है कि जब तक स्थानीय सेब पूरी तरह खत्म नहीं होता, तब तक विदेशी सेब के आयात पर रोक रहे। सेब के आयात पर बेस रेट प्रतिकिलो 50 से बढ़ाकर 100 रुपये और विदेशों के सेब पर आयात शुल्क 100 फीसदी किया जाना चाहिए, तभी स्थानीय सेब उत्पादकों को फसल के संतोषजनक दाम मिलेंगे। हिमाचल सरकार ने भी विदेशी सेब पर आयात शुल्क 100 फीसदी करने की मांग केंद्र सरकार को भेजी है।