# आईजीएमसी शिमला में तीन साल बाद फिर होंगे किडनी ट्रांसप्लांट, विशेषज्ञ तैनात…

Kidney transplant will be done again in IGMC Shimla after three years, experts deployed

 नेफ्रोलॉजी विभाग में कुछ समय पहले ही एक विशेषज्ञ चिकित्सक की तैनाती हुई है। ऐसे में जो मरीज किडनी ट्रांसप्लांट करवाने के लिए प्रतीक्षा में थे, उनका इंतजार अब खत्म होगा। 

इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) शिमला में करीब तीन साल बाद फिर किडनी ट्रांसप्लांट होंगे। अस्पताल में चल रहे नेफ्रोलॉजी विभाग के चिकित्सकों की टीम जल्द दो मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट करेगी। ऐसे में कुछ दिनों के भीतर यह सुविधा शुरू हो सकती है।  नेफ्रोलॉजी विभाग में कुछ समय पहले ही एक विशेषज्ञ चिकित्सक की तैनाती हुई है।

ऐसे में जो मरीज किडनी ट्रांसप्लांट करवाने के लिए प्रतीक्षा में थे, उनका इंतजार अब खत्म होगा। अब तक मरीज कमेटी से अनापत्ति प्रमाण पत्र (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) लेकर पीजीआई या अन्य बड़े अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट करवाने के लिए मजबूर थे।

इससे मरीजों का लाखों रुपये खर्च हो रहा था। अब विभाग में विशेषज्ञ डॉक्टर के आने के बाद इस समस्या का समाधान हो गया है।  इससे पहले आईजीएमसी शिमला में 12 अगस्त 2019 को पहली बार मंडी के नरेश और चिड़गांव की सुनीता का किडनी ट्रांसप्लांट किया गया था। इसके बाद17 नवंबर 2019 को कांगड़ा के जसूर के मंजीत का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ। अंतिम बार 23 अगस्त 2021 को चंबा के विनोद और गोपालपुर के बलदेव का किडनी ट्रांसप्लांट किया गया था।

मरीजों की सुविधा के लिए सरकार ने नेफ्रोलॉजी विभाग में विशेषज्ञ की तैनाती की है। चिकित्सक ने भी ट्रांसप्लांट के लिए आए मरीजों की जांच व तमाम प्रक्रिया जो कि पूरी करनी होती है, उस पर काम करना शुरू कर दिया है। संभावना है कि आने वाले दिनों में यह सुविधा शुरू हो जाएगी।– डॉ. रजनीश पठानिया, प्राचार्य, अटल सुपर स्पेशलिटी आयुर्विज्ञान संस्थान, चमियाना

2019 में हुआ था यहां पहला किडनी ट्रांसप्लांट
आईजीएमसी में साल 2019 में पहला किडनी ट्रांसप्लांट किया गया था। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के विशेषज्ञ डॉ. वीके बंसल और उनकी टीम ने आकर अस्पताल के नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी विभाग के साथ मिलकर सफल ट्रांसप्लांट करवाए। बाद में विशेषज्ञ चिकित्सकों के यहां से जाने के बाद मरीजों को दिक्कतें पेश आईं थी। ऐसे में अब चिकित्सकों के आने के बाद मरीजों को इसका लाभ मिला है। 

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