यूपी के हाथरस में सत्संग में मची भगदड़ में 124 लोगों की मौत हो गई, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। सत्संग का आयोजन ‘भोले बाबा’ उर्फ बाबा नारायण हरि के संगठन ने किया था। मरने वालों में सात बच्चे और 100 से ज्यादा महिलाएं शामिल हैं। दर्दनाक हादसे के बाद सत्संग स्थल श्मशान घाट जैसा बन गया। यहां लाशों का ढेर लगा था।
सड़क किनारे खेत में पानी भरा था। कीचड़ हो रही थी भागने के चक्कर में श्रद्धालु पानी और कीचड़ में फंसकर गिर गए। इसके भीड़ में दबते चले गए। महिलाओं-बच्चों के मुंह-नाक में कीचड़ भर गया था। भीड़ में कुचलने और दम घुटने से अधिक लोगों की मौतें हुईं हैं।
कराहते रहे लोग, निकलती रही जान
उधर, हादसे के लिए सिकंदराराऊ स्थित ट्रॉमा सेंटर तैयार नहीं था। यहां न बिजली थी और चिकित्सक व स्टॉफ। ऑक्सीजन तक नहीं थी। कराहते हुए घायल पहुंचते रहे और उपचार न मिलने से दम तोड़ते रहे।
ट्रॉमा सेंटर पर करीब 2.45 बजे शवों और घायलों का पहुंचना शुरू हुआ। हालात ऐसे थे कि न मौके पर चिकित्सक थे और न ही पैरामेडिकल स्टाफ मौजूद था। बिजली तक नहीं थी।
बदहवास हालत में पहुंचे घायलों को ऑक्सीजन की जरूरत थी, लेकिन वह भी नहीं मिली। बिजली न होने के कारण कमरों में पंखे बंद पड़े हुए थे। कमरों में अंधेरा छाया हुआ था।
एंबुलेंस से आए घायलों को ऑक्सीजन के लिए सत्संग स्थल से साथ में आए परिजन व अन्य लोग अंदर कक्षों तक लेकर पहुंचे, लेकिन यहां तत्काल उपचार नहीं मिलने के कारण कई घायलों ने दम तोड़ दिया।
टॉमा सेंटर और सीएचसी पर जेनरेटर है लेकिन जब उसे चलाने की बात आई तो पता चला कि उसमें तेल ही नहीं है। देर शाम तक स्वास्थ्य विभाग व प्रशसनिक अमला जेनरेटर के लिए तेल तक इंतजाम नहीं कर सका और पूरे परिसर में अंधेरा छाया रहा।
डीएम तो पहुंच गए, लेकिन हाथरस से चिकित्सक नहीं पहुंचे
डीएम आशीष कुमार मौके पर पहुंच गए लेकिन हाथरस से चिकित्सक और स्टॉफ मौके पर नहीं पहुंचा। डीएम ने मौके पर पहुंचकर स्थिति देखी तो उन्होंने नाराजगी जताई।
सीएमओ से बात की तो उन्होंने बताया कि चिकित्सक निकल चुके हैं। करीब दो घंटे तक चिकित्सीय स्टॉफ मौके पर नहीं पहुंच सका। आलम यह रहा कि घायलों को उपचार के लिए रेफर करना शुरू कर दिया गया।