ब्रेक की लाइटें बंद कर रात के घुप अंधेरे में आगे बढ़ना पड़ा। 13 जैक राइफल के राइफल मैन अश्वनी कुमार ने साझा की कारगिल युद्ध की यादें

Kargil Vijay Diwas 2024 Rifleman Ashwani Kumar of 13 Jack Rifle shares memories of Kargil war

11 जून 1999 में श्रीनगर के सौफर से लौटते ही 13 जैक राइफल की प्लाटून को कारगिल में प्वाइंट 5140 की तोलोलिंग पहाड़ी से दुश्मनों के खात्मे के आदेश मिले थे। इसके बाद प्लाटून के जवानों को वाहनों को खाली करवा कर सीधे युद्ध के लिए भेज दिया गया।

चंबा जिला के चनेड़ निवासी राइफल मैन अश्वनी कुमार ने बताया कि प्वाइंट 5140 की तोलोलिंग पहाड़ी पर पर विजय पताका फहराए बिना कोई भी सैनिक आगे नहीं बढ़ सकता था। ऐसे में तत्कालीन कर्नल वाईके जोशी और वीर सपूत विक्रम बत्रा के नेतृत्व में आगे बढ़े। राइफल मैन ने बताया कि तोलोलिंग पहाड़ी तक पहुंचने से पूर्व उन्हें गुमरी से आगे ट्रक, ब्रेक की लाइटें बंद कर रात के घुप अंधेरे में आगे बढ़ना पड़ा। कारगिल स्थित पहाड़ी तक पहुंचने के लिए भी उन्हें रात के अंधेरे में ही मार्च करना पड़ा। 

आखिरकार तोलोलिंग पहाड़ी पर पहुंच कर उन्होंने पाकिस्तानी सेना से प्वाइंट 5140 को दुश्मनों से खाली करवाया। इस मिशन के दौरान उनके दो ऑफिसर और 14 जवानों ने वीरगति पाई। तोलोलिंग पहाड़ी पर तिरंगा फहराने के बाद वे वापस पहाड़ की चोटी से नीचे आ गए। फिर उन्हें दूसरी पहाड़ी मास्कोघाटी पर प्वाइंट 4875 के मिशन पर भेजा गया। कुल मिला कर एक माह तक चले इस युद्ध के तहत दोनों पहाड़ियों पर तिरंगा फहराने में 13 जैक राइफल की प्लाटून कामयाब रही। कारगिल युद्ध में जिला चंबा के तीन सिपाही खेमराज निवासी सिहुंता, आशीष थापा बकलोह, ओम प्रकाश सिहुंता शहीद हुए।अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें

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