उस रैंकिंग के आधार पर ही बच्चों को पता लगे कि वह जहां पढ़ाई का खर्चा कर रहे हैं तो भविष्य में क्या मिलेगा।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार अपने स्तर पर शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए भी फैसले लेगी। मर्ज स्कूलों के बच्चों को परिवहन सुविधा भी देनी पड़े तो देंगे। चाहे एक बच्चे के लिए 25 हजार रुपये भी क्यों न खर्च करने पड़ें। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जितने भी निजी विश्वविद्यालय हैं, उनकी भी रैंकिंग होनी चाहिए। उस रैंकिंग के आधार पर ही बच्चों को पता लगे कि वह जहां पढ़ाई का खर्चा कर रहे हैं तो भविष्य में क्या मिलेगा। राज्य सरकार इस मुद्दे पर भी काम कर रही है। रविवार को सीएम सुक्खू ने कहा कि केवल आत्मसंतुष्टि के लिए भाजपा ने स्कूल खोले हैं। कई स्कूलों में आज एक या दो बच्चे ही हैं। उन्हाेंने कहा कि सरदार पटेल विवि मंडी में खोल दिया है। कितने ही निजी विवि खोले गए हैं। शिक्षा के क्षेत्र में बहुत अधिक गिरावट आ चुकी है।
बिजली की शेड्यूलिंग से हर साल होगी 200 करोड़ की आय
हिमाचल प्रदेश को विद्युत की शेड्यूलिंग और बेहतर लेखा प्रबंधन से प्रतिवर्ष लगभग 200 करोड़ रुपये की आय होगी। केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग ने विद्युत उत्पादन केंद्रों से मुफ्त विद्युत की शेड्यूलिंग और लेखा प्रबंधन को व्यवस्थित करने के लिए नई प्रक्रिया को स्वीकृति प्रदान की है। यह प्रक्रिया 9 अगस्त से लागू हो जाएगी। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि नई प्रक्रिया के लागू होने के बाद प्रदेश को सेंटर सेक्टर की विद्युत परियोजनाओं से अपनी आधिकारिक मुफ्त बिजली के हिस्से को सीधे उत्पादन केंद्र से बस बार आधार पर बेचने का अधिकार प्राप्त होगा, जिससे विद्युत की सटीक शेड्यूलिंग और लेखांकन हो पाएगा। सीधे उत्पादन केंद्र से अपने हिस्से की बिजली बेचने से ट्रांसमिशन शुल्क की बचत होगी और अन्य कई तरह के नुकसान भी न्यूनतम होंगे। हिमाचल में अनेक परियोजनाएं दशकों से कार्यशील हैं। इस प्रक्रिया के लागू होने से राजस्व बचत भी होगी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार आय सृजन के साधनों को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। संसाधनों की बचत और उनके कुशल प्रबंधन के लिए हर स्तर पर प्रयास किया जा रहे हैं। सुक्खू ने कहा कि विद्युत प्रबंधन की इस नई प्रक्रिया के लागू होने से नाथपा-झाकड़ी और रामपुर विद्युत परियोजनाओं में गाद की समस्या आने के दौरान प्रदेश को विद्युत कट का सामना भी नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि इस दौरान राज्य अपने शेड्यूल को संशोधित नहीं कर सकता है। प्रदेश सरकार इस प्रक्रिया को लागू करने की निरंतर पैरवी कर रही थी। सीईआरसी विनयमन के अनुसार प्रदेश के लिए आवंटित जनरल नेटवर्क एक्सेस 1130 मेगावाट है। इस सीमा के उपरांत हिमाचल प्रदेश अंतर राज्य उत्पादन केंद्रों से विद्युत का शेड्यूल नहीं कर सकता है, जिससे विद्युत की कटौती होती है।