प्रदेश की हिचकोले खाती अर्थव्यवस्था के बीच हिमाचल का खुफिया तंत्र और पुलिस मुख्यालय उधार के डीजल और पेट्रोल से कानून व्यवस्था को चाक-चौबंद करने में जुटा है। पुलिस महकमा ही नहीं बल्कि कई विभागों की सरकारी गाड़ियां उधार के तेल पर चल रही हैं।
अफसरशाही की सरकारी गाड़ियों पर सवारी बरकरार है। मजाल है उनके गाड़ियों के काफिले में कोई कटौती हुई हो। कई वरिष्ठ अफसरों ने प्रदेश सचिवालय से लेकर दूसरे विभागों में एक की जगह कई गाड़ियों पर अनधिकृत कब्जा कर रखा है। इन गाड़ियों में उधार का तेल डलवाया जा रहा है। कई गाड़ियों में अफसरों के अलावा उनका परिवार भी सवारी का मजा ले रहा है। प्रदेश सरकार आए दिन खर्च कम करने की बात करती रही है, पर इनकी बला से।
हिमफेड (हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी विपणन एवं उपभोक्ता संघ लिमिटेड) ने 15 दिन की उधारी निर्धारित की है। इसके बावजूद अधिकांश महकमे बजट न होने की बात कहकर उधार की वसूली के लिए इनसे कई चक्कर कटवा रहे हैं। इस स्थिति में हिमफेड घाटे की हालत में है। हिमफेड खुद नकद पैसे देकर कंपनियों से तेल खरीद रहा है जबकि उसे विभागों को पेट्रोल और डीजल उधार देना पड़ रहा है।
छोटा शिमला पेट्रोल पंप में ही 24 घंटे में औसतन चार से पांच हजार लीटर पेट्रोल और डीजल बिक जाता है। इसमें 70 से 80 फीसदी सरकारी महकमे तेल उधार में ले रहे हैं।
जिला शिमला चुनाव कार्यालय पर सबसे अधिक 50 लाख की उधारी है। कई बार भुगतान के लिए गुहार लगाई लेकिन पैसे नहीं मिले हैं। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय भी बदहाली की दहलीज पर है। दो महीने बीत गए लेकिन तेल के 5 लाख 8 हजार नहीं चुका पा रहा है। हिमफेड की उधारी की सीमा केवल पंद्रह दिन है। इसके बावजूद 90 से 95 फीसदी महकमे ऐसे हैं जो निर्धारित समय पर भुगतान नहीं करते। इस स्थिति में हिमफेड कितने समय तक उधारी में सेवाएं दे पाएगा यह कहना मुश्किल है। इस संकट से उबारने के लिए हिमफेड प्रदेश सरकार की ओर देख रहा है।
महकमों से लेनदारी
- जिला शिमला चुनाव कार्यालय- 50 लाख
- सामान्य प्रशासन विभाग- 18 लाख
- सीआईडी – 10 लाख 76 हजार
- एचपीयू – 5 लाख 22 हजार
- प्रदेश पुलिस मुख्यालय – 3 लाख 8 हजार
सरकारी महकमों की मौजूदा समय में पेट्रोल और डीजल की करोड़ों की उधारी है। उधारी की सीमा 15 दिन निर्धारित की है। जिसके पास एक लाख से ज्यादा उधारी हो जाती है उनकी सेवाएं बंद करने का प्रावधान है