हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली में मस्जिद में हुए अवैध निर्माण के मामले पर सुनवाई 5 अक्तूबर तक टल गई है। शनिवार सुबह 10:30 बजे नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री के कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई। इसमें मस्जिद की ओर से वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता ने अपनी दलीलें पेश कीं। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फिलहाल सुनवाई 5 अक्तूबर तक के लिए टल दी गई है। ऐसे में अभी अंतिम फैसले के लिए इंतजार करना होगा।
आयुक्त कोर्ट में शनिवार को हुई सुनवाई के दौरान वक्फ बोर्ड ने अपना पक्ष रखा है। बोर्ड के वकील ने कहा कि उन्हें इस मामले में पहली बार नोटिस मिला था, जिसके बाद उन्होंने जवाब दे दिया है। अब इस मामले पर 5 अक्तूबर तक सुनवाई होनी है। वक्फ बोर्ड की ओर से दावा किया गया है कि मस्जिद वाली जमीन वक्फ बोर्ड की है और यह मस्जिद 1947 से भी पहले से यहां बनी है। मौके पर कितना अवैध निर्माण हुआ है, इसकी रिपोर्ट अब कनिष्ठ अभियंता को तैयार करने को कहा गया है। अभियंता अपनी रिपोर्ट में बताएंगे कि कुल कितना अवैध निर्माण हुआ है।
निर्माण के लिए फंडिंग को लेकर भी सवाल
सुनवाई के दौरान निर्माण के लिए फंडिंग को लेकर भी सवाल किया गया। बोर्ड के वकील ने कहा कि इसके लिए कुछ फंडिंग आढ़तियों ने की है। उन्हें फंडिंग कैश में आई या चेक में, इसके बारे में जब सवाल पूछा गया तो पेश हुए वकील इसका जवाब भी नहीं दे सके। उन्होंने कहा कि वह इस बारे में अगली पेशी में जवाब देंगे।
पूर्व प्रधान बोले- बाहरी लोगों ने किया अवैध निर्माण
सुनवाई में पहुंचे मस्जिद कमेटी के पूर्व प्रधान मोहम्मद लतीफ ने बताया कि साल 2012 तक वह इस कमेटी के प्रधान रहे हैं। कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान यह मस्जिद ढाई मंजिला थी। इसके बाद बाहरी लोगों का आना शुरू हुआ। इन्हीं बाहरी लोगों ने यहां पर अवैध निर्माण किया है। कहा कि उन्हें भी इस मामले में नोटिस मिला था, जिसके लिए वह कोर्ट में पेश हुए थे। उनसे पूछा गया है कि मौके पर पहले कितना निर्माण था।
क्या कहता है एमसी
नगर निगम के अनुसार अब इस मामले में वक्फ बोर्ड को पार्टी बनाया गया है। बोर्ड एक बार इस मामले पर अपना जवाब दे चुका है। मस्जिद मामले में पहली बार साल 2009 में नगर निगम के पास शिकायत पहुंची थी। यहां अवैध निर्माण करने के आरोप लगे थे। निगम प्रशासन के अनुसार पहले मौके पर एक मंजिल और एटिक के रूप में मस्जिद थी, लेकिन साल 2024 तक यहां अब एटिक समेत कुल पांच मंजिलें बन चुकी हैं। निगम प्रशासन का कहना है कि सुनवाई के दौरान भी यहां अवैध निर्माण हुआ है। पांच से ज्यादा बार काम रोकने के आदेश भी जारी हुए हैं। अब तक कुल 45 पेशियां इस मामले में हो चुकी हैं।
क्या है पूरा विवाद
संजौली मस्जिद विवाद की शुरुआत एक लड़ाई से हुई। दरअसल, मल्याणा क्षेत्र में एक व्यक्ति के साथ कुछ लोगों ने मारपीट की थी। इस मारपीट को लेकर व्यक्ति ने केस दर्ज कराया था। मारपीट के बाद से आरोप लगा कि वारदात को अंजाम देकर आरोपित मस्जिद में छिप गए। जिसके बाद हिंदू संगठनों ने संजौली मस्जिद के खिलाफ प्रदर्शन किया और अवैध बताकर मस्जिद को गिराने की बात कही। देखते ही देखते मामले ने और तूल पकड़ लिया। मामला विधानसभा सदन तक पहुंच गया। इसके बाद कई प्रदर्शन भी हुए।
मस्जिद में अवैध निर्माण तोड़ने के जारी हो चुके आदेश
शहर के कसुम्पटी क्षेत्र में भी कथित मस्जिद के निर्माण से जुड़े मामले पर गुरुवार को लोग सड़कों पर उतरे थे। लोगों और पार्षदों का कहना है कि यहां पर अवैध निर्माण कर मस्जिद बनाई जा रही है। हर शुक्रवार को तिरपाल की आड़ में निर्माण हो रहा है। इस पर नगर निगम ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है। निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने कहा कि कसुम्पटी में अवैध निर्माण से जुड़े मामले पर सुनवाई पूरी हो चुकी है। बीते साल ही इस पर फैसला सुनाया जा चुका है। मौके पर अवैध शेड का निर्माण किया था जिसे तोड़ने के आदेश जारी किए हैं। हालांकि, दूसरे पक्ष ने इस मामले में अब सेशन कोर्ट में अपील की है।