देश के सबसे लंबे शिमला रोपवे के निर्माण के लिए रोपवे कॉरपोरेशन ने टेंडर आमंत्रित कर दिए हैं। 13.79 किलोमीटर लंबे रोपवे का निर्माण कार्य मार्च 2025 में शुरू होगा और चार साल यानी 2029 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। कॉरपोरेशन के मुताबिक जैसे-जैसे रोपवे का निर्माण कार्य चरणबद्ध तरीके से पूरा होगा। इसे आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा। रोपवे के निर्माण पर 1734 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। प्रोजेक्ट के लिए 80 फीसदी राशि एनडीबी बतौर ऋण देगा। 20 फीसदी की राशि प्रदेश सरकार खर्च करेगी। रोपवे का किराया बस जितना ही होगाा।
हजारों लोगों को आवागमन का सुगम विकल्प मिलेगा
रोपवे कॉरपोरेशन के मुताबिक जो कंपनी प्रोजेक्ट का निर्माण करेगी, वहीं पांच साल तक इसका संचालन और रखरखाव भी करेगी। शिमला रोपवे राजधानी के हजारों लोगों को आवागमन का सुगम विकल्प उपलब्ध करवाएगा। शिमला शहर में लोग हर रोज ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझ रहे हैं। वहीं कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण सड़कों का विस्तार करना भी मुमकिन नहीं है। यही वजह है कि प्रदेश सरकार रोपवे को भविष्य के आवागमन के बेहतर विकल्प की तरह देख रही है।
13 स्टेशन बनेंगे, एक होगा टर्निंग प्वाइंट
शिमला रोपवे में कुल 13 स्टेशन का निर्माण होगा। यहां ट्राॅली विभिन्न लाइनों पर रुकेंगी और इसमें यात्री चढ़ और उतर सकेंगे। इसके अलावा एक टर्निंग स्टेशन भी बनाया जाएगा। इसमें विक्ट्री टनल के समीप बनाने की योजना है। तारादेवी से शुरू होकर रोपवे पूरे शिमला शहर को कवर करेगा।
रोपवे में लाल, नीली और हरी तीन लाइन होंगी
शिमला रोपवे में लाल, नीली और हरी तीन लाइन होंगी। इसके जरिये यात्री बिना उतरे सीधे अपने तय स्टेशन तक पहुंच सकेंगे। लाल लाइन में यात्री तारादेवी-चक्कर होकर टुटीकंडी पहुंच सकेंगे। हरी लाइन से यात्री टुटीकंडी पार्किंग, रेलवे स्टेशन, पुराना बस स्टैंड, लिफ्ट होकर सचिवालय पहुचेंगे। नीली लाइन से लोग आईएसबीटी, 103 टनल, विक्ट्री टनल, टनल आईसीआर, आईजीएमसी, संजौली, नवबहार से होकर सचिवालय जा सकेंगे।
शिमला रोपवे के टेंडर आमंत्रित कर दिए गए हैं। मार्च 2025 तक इसका निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा और चार साल में इसका निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। भविष्य में रोपवे शिमला के लोगों के लिए आवागमन का बेहतर विकल्प बनेगा।