मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार प्राथमिक स्तर से बच्चों को जागरूक करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रम में स्वास्थ्य शिक्षा को शामिल करने पर विचार कर रही है, ताकि बच्चे स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें। सीएम सुक्खू ने यह जानकारी शनिवार को आयोजित नि-क्षय अभियान पर आयोजित समारोह की अध्यक्षता करते हुए दी। उन्होंने कहा कि 100 दिन तक सभी जिलाें में चलने वाला यह अभियान हिमाचल को टीबी मुक्त बनाने में कारगर होगा।
सीएम ने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य टीबी के मामलों की समय पर पहचान, उपचार और जागरूकता सुनिश्चित करना है। इस अवसर पर उन्होंने पोर्टेबल एक्स-रे मशीन से तपेदिक की जांच भी करवाई। उन्होंने इस अभियान के लिए समर्पित एक मोबाइल वैन को झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने सभी से टीबी के लक्षणों को पहचानने और समय पर जांच करवाने को कहा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हिमाचल निकट भविष्य में टीबी मुक्त राज्य बनकर उभरेगा। इसके दृष्टिगत सरकार ने केंद्र सरकार से प्राप्त सहायता के अलावा, मुख्यमंत्री टीबी उन्मूलन योजना के तहत 2 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। राज्य की 13 प्रतिशत आबादी 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की है। इसके दृष्टिगत वृद्धजनों के लिए प्रारंभिक निदान और रोकथाम आवश्यक है। सीएम ने केंद्र सरकार से राज्य के वनों के संरक्षण के प्रयासों को अधिमान देते हुए ‘ग्रीन बोनस’ प्रदान करने की अपील की।
विशेषज्ञ डॉक्टरों को एक लाख मासिक भत्ता देने पर विचार
सरकार सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के मासिक भत्ते को 60,000 रुपये से बढ़ाकर 1.75 लाख रुपये और विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए भी एक लाख रुपये मासिक भत्ता देने पर विचार कर रही है।
हिमाचल में टीबी जांच दर देशभर में अव्वल कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री सुक्खू ने टीबी मुक्त भारत की शपथ दिलाई और टीबी रोगियों को निक्षय पोषण किट वितरित कीं। स्वास्थ्य मंत्री धनी राम शांडिल ने सभी से टीबी के प्रति सतर्क रहने और शीघ्र उपचार के लिए समय पर जांच करवाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल में टीबी जांच दर देश में सबसे अधिक है।